मातु भवानी शारदे, दो मुझ को आलंब ! करुं सर्जना काव्य की, तनिक न आए दंभ !
मातु भवानी शारदे, करो विनय स्वीकार ! "सहन" सहज से बढ. चले,ऐसा दो आधार !
वन्दन करता भक्ति से, प्रभुवर वीर महान ! भूल न जाऊं पथ कहीं, दो मुझको सदग्यान
हाथ जोड. कर चरण में, करूं नमन सौ बार ! मान्झी बन खेते रहो,जीवन की पतवार !
मातु भवानी शारदे, करो विनय स्वीकार ! "सहन" सहज से बढ. चले,ऐसा दो आधार !
वन्दन करता भक्ति से, प्रभुवर वीर महान ! भूल न जाऊं पथ कहीं, दो मुझको सदग्यान
हाथ जोड. कर चरण में, करूं नमन सौ बार ! मान्झी बन खेते रहो,जीवन की पतवार !
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